Mangal singh suman biography in hindi
शिवमंगल सिंह 'सुमन'
शिवमंगल सिंह 'सुमन' (1915-2002) एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और शिक्षाविद थे। उनकी मृत्यु के बाद, भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री ने कहा, "डॉ. शिव मंगल सिंह 'सुमन' केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में एक शक्तिशाली चिह्न ही नहीं थे, बल्कि वह अपने समय की सामूहिक चेतना के संरक्षक भी थे। उन्होंने न केवल अपनी भावनाओं का दर्द व्यक्त किया, बल्कि युग के मुद्दों पर भी निर्भीक रचनात्मक टिप्पणी भी की थी।"[1]
जीवनी
[संपादित करें]शिवमंगल सिंह 'सुमन' का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगरपुर में हुआ था। वे रीवा, ग्वालियर आदि स्थानों मे रहकर आरम्भिक शिक्षा प्राप्त की है | एक अग्रणी हिंदी लेखक और कवि थे। उन्होंने एक एम ए और पी एच.डी. अर्जित किया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी में उन्हें 1950 में डी. लिट. के साथ भी सम्मानित किया गया।
सुमन ने 1968-78 के दौरान विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) के कुलपति के रूप में काम किया; उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के उपराज्यपाल ; 1956-61 के दौरान प्रेस और सांस्कृतिक अटैच, भारतीय दूतावास, काठमांडू (नेपाल); और 1977-78 के दौरान अध्यक्ष, भारतीय विश्वविद्यालय संघ (नई दिल्ली) रहे। वह कालिदास अकादमी, उज्जैन के कार्यकारी अध्यक्ष थे। 27 नवंबर 2002 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। [2][3]
रचनाएं
[संपादित करें]कविता संग्रह
[संपादित करें]उल्लेखनीय कविताएँ
[संपादित करें]- सांसों का हिसाब......
- चलना हमारा काम है......
- मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार......
- असमंजस......
- पतवार......
- सूनी साँझ......
- विवशता......
- मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ......
- आभार......
- पर आँखें नहीं भरीं......
- मृत्तिका दीप......
- जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी...... / भाग १
- जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी...... / भाग २
- जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी...... / भाग ३
- बात की बात......
- हम पंछी उन्मुक्त गगन के......
- वरदान माँगूँगा नहीं......
- तूफानों की ओर घुमा दो नाविक......
- मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला.....
- सहमते स्वर-1......
- सहमते स्वर-2......
- सहमते स्वर-3......
- सहमते स्वर-4......
- सहमते स्वर-5......
- अंगारे और धुआँ......
- मैं अकेला और पानी बरसता है......
- चल रही उसकी कुदाली......
- मिट्टी की महिमा......
- रणभेरी...
गद्य रचनाएँ
[संपादित करें]नाटक
[संपादित करें]सम्मान
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- 5 अगस्त 1999 - गोलेन्द्र पटेल, हिन्दी व भोजपुरी साहित्य की नई पीढ़ी के प्रमुख स्तम्भों में से एक एवं कवि